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13-Sep-2025 10:00 AM
By First Bihar
BIHAR ELECTION : बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इस बार चुनाव आयोग की खास नजर महिला मतदाताओं पर है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पुरुषों की तुलना में महिलाएं हमेशा अधिक संख्या में मतदान करती रही हैं। यही कारण है कि आयोग और राज्य सरकार ने इस बार महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाने के लिए एक खास पहल शुरू की है। इस अभियान की सबसे बड़ी जिम्मेदारी ग्रामीण इलाकों में सक्रिय स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं यानी जीविका दीदियों को दी गई है।
चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने मिलकर तय किया है कि बूथ तक न पहुंच पाने वाली करीब 40% महिला मतदाताओं को सक्रिय करने का काम जीविका दीदियों और अन्य महिला कार्यकर्ताओं के जिम्मे होगा। जीविका दीदियां गांव-गांव जाकर महिलाओं को वोट डालने के लिए प्रेरित करेंगी। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका भी घर-घर जाकर महिला मतदाताओं को मतदान की अहमियत समझाएंगी। बिहार में मतदाता सूची में भले ही महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम हो, लेकिन वोटिंग के दिन उनकी भागीदारी हमेशा आगे रहती है। यही वजह है कि आयोग ने इस बार महिलाओं को और संगठित करने का फैसला किया है।
बिहार की राजनीति में पिछले एक दशक में महिलाओं का प्रभाव लगातार बढ़ा है। 2015 विधानसभा चुनाव में जहां पुरुषों का मतदान प्रतिशत 53.32% था, वहीं महिलाओं का आंकड़ा 60.48% तक पहुंच गया था। यही स्थिति 2020 और 2024 के चुनावों में भी देखने को मिली। पंचायतों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व, शिक्षा का बढ़ता स्तर और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जागरूकता ने महिलाओं को राजनीति के महत्व को समझने में मदद की है। यही कारण है कि आज बिहार में लोकतंत्र की असली ताकत महिलाएं बन चुकी हैं।
महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी के पीछे एक बड़ी वजह निर्वाचन आयोग की तैयारियां भी रही हैं। मतदान केंद्रों पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती, महिलाओं के लिए अलग कतार, पेयजल और शौचालय जैसी सुविधाओं ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है। आयोग लगातार यह सुनिश्चित कर रहा है कि महिलाएं बिना किसी परेशानी के मतदान केंद्र तक पहुंच सकें।2019 लोकसभा चुनाव: महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.58% और पुरुषों का 54.09% इसके बाद 2020 विधानसभा चुनाव: महिलाओं का मतदान प्रतिशत 56.69% और पुरुषों का 54.45% जबकि 2024 विधानसभा चुनाव: महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.45% और पुरुषों का 53.00% रहा। इन आंकड़ों से साफ है कि बिहार की महिलाएं लोकतंत्र की सबसे बड़ी भागीदार बन चुकी हैं। जागरूकता अभियान का व्यापक दायरा महिलाओं के साथ-साथ अन्य मतदाताओं को भी जागरूक करने के लिए आयोग ने कई स्तरों पर अभियान शुरू किया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास मित्र अनुसूचित जाति टोलों में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे। शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और निकाय कर्मी मतदाताओं को प्रेरित करेंगे। कॉलेजों में विशेष अभियान चलाकर युवा वोटरों को मतदान के महत्व से जोड़ा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी महिला पर्यवेक्षिकाएं और सीडीपीओ करेंगी ताकि अभियान का असर जमीन पर साफ दिखे।
बिहार में इस समय 10 लाख 63 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित हैं, जिनसे 1 करोड़ 34 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं। यह नेटवर्क किसी भी जागरूकता अभियान को सफलता की ओर ले जाने में सक्षम है। चुनाव आयोग के लिए यह नेटवर्क सबसे बड़ी ताकत साबित होगा। जीविका दीदियां, जो पहले से ही ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करने का काम कर रही हैं, अब लोकतंत्र की इस मुहिम में भी अहम भूमिका निभाएंगी। अपने अनुभव और पहुंच के दम पर वे हर घर तक यह संदेश पहुंचाएंगी कि लोकतंत्र की असली शक्ति मतदान में छिपी है।
बिहार विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका इस बार और भी अहम हो गई है। आयोग का मकसद सिर्फ मतदान प्रतिशत बढ़ाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि महिलाएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बराबर की भागीदार बनें। जीविका दीदियों और महिला कार्यकर्ताओं की मदद से यह अभियान न केवल मतदान प्रतिशत में इजाफा करेगा, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी और मजबूत बनाए