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30-May-2025 08:25 AM
By First Bihar
Bihar Teacher: बिहार सरकार की ‘टीचर ऑफ द मंथ’ योजना के तहत अप्रैल 2025 में राज्य के 61 शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। यह पहल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ के नेतृत्व में शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन की गुणवत्ता को बढ़ाना और शिक्षकों में नई ऊर्जा का संचार करना है।
29 मई 2025 को जारी इस सम्मान सूची में विभिन्न जिलों के शिक्षकों को प्रशस्ति-पत्र देकर उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना की गई। यह कदम न केवल शिक्षकों के मनोबल को बढ़ा रहा है, बल्कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
शिक्षा विभाग की ओर से चयनित शिक्षकों में वैशाली जिले के जनदाहा प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय चक्काजायब के शिक्षक मो. अजहर, सुपौल के जगतपुर मध्य विद्यालय की दीप शिखा, और सीतामढ़ी के परसौनी मध्य विद्यालय की अनुराधा कुमारी जैसे कई नाम शामिल हैं।
इसके अलावा, समस्तीपुर के दिघरा उच्च माध्यमिक विद्यालय के मुकेश कुमार ‘मृदुल’, पूर्णिया के मंझेलीहाट मध्य विद्यालय के बिरजू कुमार, और पूर्वी चंपारण के महंथ रामजी दास शशि भूषण दास प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय की अनम शेख को भी इस सम्मान से नवाजा गया। इन शिक्षकों ने नवाचारी शिक्षण विधियों, नियमित उपस्थिति, और छात्रों के शैक्षणिक विकास में योगदान के लिए यह पुरस्कार हासिल किया है।
‘टीचर ऑफ द मंथ’ योजना बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में एक अनूठा प्रयास है। ACS सिद्धार्थ ने इस पहल को शिक्षकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और प्रेरणा का स्रोत बताया है। उनके निर्देश पर शिक्षा विभाग ने होमवर्क की गुणवत्ता, डिजिटल उपस्थिति प्रणाली जैसे ई-शिक्षा कोष ऐप, और भोजपुरी में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ाई जैसे नवाचार भी शुरू किए हैं।
यह सम्मान समारोह शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ अन्य शिक्षकों को भी बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित कर रहा है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर ऊपर उठ रहा है। यह योजना बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की जवाबदेही और समर्पण को बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है।
समस्तीपुर के हुसनपुर प्रखंड के कन्या प्राथमिक विद्यालय मालदह के बैद्यनाथ रजक और कसवा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय ठाकुरबाड़ी मुसहरी टोला की उषा कुमारी जैसे शिक्षकों के कार्यों ने न केवल उनके स्कूलों, बल्कि पूरे समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है। शिक्षा विभाग की इस पहल से बिहार के शिक्षा क्षेत्र में नई उम्मीद जगी है, और यह राज्य के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक ठोस कदम है।