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13-Sep-2025 11:43 AM
By First Bihar
BIHAR ELECTION : बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने वाली है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, राजनीतिक दलों की गतिविधियां भी तेज होती जा रही हैं। इस बार चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा हथियार हेलीकॉप्टर यानी ‘उड़न खटोला’ बन चुका है। नेताओं को कम समय में ज्यादा जनसभाएं करने और राज्य के कोने-कोने तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ रहा है। यही वजह है कि चुनाव से पहले ही हेलीकॉप्टरों की बुकिंग जोर-शोर से शुरू हो चुकी है।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में हेलीकॉप्टरों का जबरदस्त इस्तेमाल हुआ था। उस समय विपक्ष का मोर्चा संभाल रहे तेजस्वी यादव ने रोजाना 14 से 16 जनसभाएं की थीं। एक दिन तो उन्होंने 19 जनसभाएं करके रिकॉर्ड बना दिया था। यह सब संभव हुआ था हेलीकॉप्टर की वजह से। चुनावी रणनीति में यह साबित हो गया कि हेलीकॉप्टर नेताओं के लिए समय बचाने और अधिक जनसमर्थन जुटाने का सबसे बड़ा साधन है।
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में स्थिति और भी रोचक होने वाली है। पटना एयरपोर्ट के स्टेट हैंगर से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, चुनाव प्रचार के दौरान हर रोज 20 हेलीकॉप्टर आसमान में उड़ान भरेंगे। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गुटों ने एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है। एनडीए की ओर से रोजाना 14 से 15 हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा हेलीकॉप्टर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास होंगे। बीजेपी ने अकेले 12 से 13 हेलीकॉप्टर बुक कराए हैं। वहीं, जदयू (JDU) की ओर से रोजाना दो हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे। इन हेलीकॉप्टरों में एनडीए के छोटे घटक दलों के नेताओं को भी जगह दी जाएगी।
एनडीए के मुकाबले महागठबंधन ने पांच हेलीकॉप्टर बुक कराए हैं। इसमें कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने दो-दो हेलीकॉप्टर की बुकिंग की है। वहीं, गठबंधन के सहयोगी वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी भी चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करेंगे। चुनाव के मौसम में हेलीकॉप्टरों की मांग बढ़ने के कारण किराए में भी भारी उछाल आ जाता है। सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर: आमतौर पर इनका किराया 1 लाख से 2 लाख रुपये प्रति घंटा होता है, लेकिन चुनाव के दौरान यह किराया लगभग सवा गुना बढ़ जाता है। इनका किराया 3 से 4 लाख रुपये प्रति घंटा तक पहुंच जाता है। चुनावी मौसम में यह दरें दोगुनी हो जाती हैं।
राजनीतिक दलों को हेलीकॉप्टर बुक करने के लिए न्यूनतम 3 घंटे का फ्लाइंग चार्ज देना पड़ता है। इसके साथ ही 18 प्रतिशत जीएसटी (GST) भी चुकाना होता है। इस तरह से एक हेलीकॉप्टर का रोजाना औसत खर्च लगभग 11 लाख रुपये तक बैठता है। चुनावी उड़ानों में इस बार बड़ी वृद्धि देखने को मिल रही है। ग्लोबल फ्लाइट सर्विसेज पटना के मैनेजर देवेंद्र कुमार के मुताबिक, पिछले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने लगभग आधा दर्जन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था। लेकिन इस बार संख्या लगभग तीन गुना ज्यादा होकर 20 तक पहुंच रही है।
बिहार एक बड़ा और भौगोलिक रूप से विविध राज्य है। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक कई जिलों में फैला हुआ है। सड़क मार्ग से कम समय में इतनी ज्यादा जनसभाएं करना संभव नहीं है। यही कारण है कि नेताओं के पास हेलीकॉप्टर का ही विकल्प बचता है। एक दिन में 10 से 15 जनसभाएं करने का लक्ष्य रखने वाले नेताओं के लिए हेलीकॉप्टर वरदान साबित होते हैं।
दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। जनसभाओं के बीच यात्रा समय घटता है, जिससे ज्यादा भीड़ को संबोधित करने का मौका मिलता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का प्रचार पूरी तरह हाईटेक और तेज रफ्तार वाला होगा। जहां एक ओर सोशल मीडिया पर प्रचार के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, वहीं जमीनी स्तर पर हेलीकॉप्टर प्रचार का सबसे अहम साधन बन चुका है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनाव प्रचार में जितना पैसा आसमान में उड़ाया जाएगा, उतना शायद ही पहले कभी खर्च हुआ हो।
बिहार चुनाव 2025 सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान में भी लड़ा जाएगा। नेताओं की रैलियों में भीड़ जुटाने और राज्य के हर कोने में पहुंचने की होड़ अब हेलीकॉप्टरों के जरिए होगी। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गुट अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ आसमान में उड़ान भरने को तैयार हैं। निश्चित तौर पर इस चुनाव में आसमान में गूंजते हेलीकॉप्टरों की आवाज़ बिहार की राजनीति की तस्वीर बदलने वाली है।