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20-Feb-2025 02:57 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार के सरकारी स्कूलों का सिस्टम बदल गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने बड़ा फैसला लिया है. इस संबंध में विभागीय पत्र भी जारी कर दिया गया है. बड़ी बात ये है कि अब बिहार के जिलों से लेकर प्रखंडों में तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मोबाइल पर रात के 9 बजे घंटी बजेगी. ये कॉल अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ की होगी. उस कॉल से अगली सुबह किसी भी स्कूल के शिक्षकों से लेकर हेडमास्टर पर गाज गिर सकती है.
एस. सिद्धार्थ ने फर्जीवाड़ा पकड़ा
दरअसल ये मामला सरकारी स्कूलों के निरीक्षण से जुड़ा हुआ है. पिछले साल 6 जून को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण की व्यवस्था लागू की थी. जिलों औऱ प्रखंडों में तैनात अधिकारिय़ों के साथ साथ कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट सरकार को भेजनी थी. सरकार ने पिछले 15 जनवरी को आदेश जारी किया था कि जिस भी स्कूल का निरीक्षण किया जाये, उसकी रिपोर्ट ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाये.
संविदाकर्मियों ने कर दिया खेल
शिक्षा विभाग ने स्कूलों के निरीक्षण के लिए जो व्यवस्था की थी, उसमें शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में पदस्थापित सभी पदाधिकारियों और कर्मियों को विद्यालयों की निगरानी की. सरकार ने स्कूलों के निरीक्षण को लेकर ई शिक्षाकोष पर अपलोड की गयी रिपोर्ट की जांच पड़ताल की. उसमें पाया गया कि जिला शिक्षा कार्यालय में कार्यरत संविदा पदाधिकारी और कर्मचारियों के साथ साथ आउटसोर्सिंग से कार्यरत कर्मचारी स्कूलों के निरीक्षण रिपोर्ट में बड़ी हेराफेरी कर रहे हैं.
शिक्षा विभाग ने संविदा कर्मी औऱ आउटसोर्स कर्मचारी से प्राप्त निरीक्षण प्रतिवेदन की समीक्षा की तो पाया कि उनके निरीक्षण प्रतिवेदन में दर्ज किये डाटा फर्जी हैं. जब स्थानीय जाँच की गयी तो निरीक्षण प्रतिवेदन और जमीनी स्थिति स्थिति में बहुत अंतर था. संविदाकर्मी और आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में भी सचेतता और संवेदनशीलता नहीं दिखा रहे हैं.
सरकारी स्कूलों के निरीक्षण का सिस्टम बदला
सरकारी स्कूलों के निरीक्षण में हो रहे फर्जीवाड़े को देखते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूलों के निगरानी की नयी व्यवस्था लागू कर दी है. एसीएस एस. सिद्धार्थ ने अपने पत्र में कहा है कि निरीक्षण की गुणवत्ता और उपयोगिता बढाने के लिए इस निरीक्षण व्यवस्था में बदलाव करने का निर्णय लिया है. अब यह निर्णय लिया गया है कि अल्प अवधि संविदा पर नियोजित या आउटसोर्स के माध्यम से नियोजित किसी भी कर्मचारी को विद्यालयों के निरीक्षण का काम नहीं सौंपा जायेगा.
सिर्फ सरकारी पदाधिकारी करेंगे निरीक्षण
शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि अब सिर्फ शिक्षा विभाग और बिहार शि7 परियोजना Bihar Education Project के नियमित पदाधिकारी ही विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे. शिक्षा विभाग ने अब इन पदाधिकारियों को स्कूलों के निरीक्षण का जिम्मा सौंपा है.
1. जिला शिक्षा पदाधिकारी
2. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी
3. कार्यक्रम पदाधिकारी
4. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी
5. अपर जिला कार्यकम समन्वयक (BEP)
6. सहायक कार्यकम पदाधिकारी (BEP)
रात के नौ बजे आयेगा अपर मुख्य सचिव का कॉल
सरकार ने उपर बताये गये पदाधिकारियों को स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेवारी तो दे दी है, लेकिन वे अपनी मर्जी से स्कूलों का निरीक्षण नहीं कर पायेंगे. किस दिन किस विद्यालय का निरीक्षण किया जाना है, उसका चयन हर दिन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा किया जाएगा. जिन पदाधिकारियों को स्कूलों के निरीक्षण का काम सौंपा गया है, उन्हें देर रात सूचना दी जायेगी.
शिक्षा विभाग के मुताबिक रात के नौ बजे निरीक्षण करने वाले पदाधिकारियों के मोबाइल पर कॉल या मैसेज आयेगा. ये कॉल या मैसेज सीधे अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ या उनके कार्यालय का होगा. वहां से जो आदेश दिया जायेगा उसके आधार पर अगली सुबह संबंधित पदाधिकारी विद्यालय निरीक्षण के लिए प्रस्थान करेंगे.
शिक्षा विभाग ने पहले से ही तय कर रखा है कि किसी स्कूल के निरीक्षण के दौरान किन चीजों की जानकारी लेनी है. इसमें शिक्षकों की उपस्थिति, बच्चों की उपस्थिति, मध्याह्न भोजन की स्थिति, बेंच-डेस्क की हालत, पेयजल और शौचालय की स्थिति समेत कई और बिन्दू शामिल हैं. शिक्षा विभाग की ओऱ से तय सारे बिन्दुओं की जांच के बाद संबंधित पदाधिकारी विद्यालय निरीक्षण की रिपोर्ट ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना सुनिश्चित करेंगे. सरकार ने इसके लिए नया प्रपत्र तैय़ार किया है.
हर हाल में गोपनीय रखें सूचना
अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने सारे पदाधिकारियों को साफ साफ कहा है कि वे विद्यालयों के निरीक्षण की सूचना पूर्ण रूप से गोपनीय रखेंगे. निरीक्षण के दिन विद्यालय के किसी भी शिक्षक अथवा शिक्षा विभाग के किसी भी पदाधिकारी/कर्मी को बिना बताए वे विद्यालय की ओर प्रस्थान करेंगे और विद्यालय का निरीक्षण करेंगे. ये सभी निरीक्षण औचक होंगे और पूर्व सूचना के आधार पर नहीं होंगे.
यदि किसी कारणवश जैसे कि अस्वस्थता या अन्य कारण से संबंधित पदाधिकारी निरीक्षण नहीं कर पाए तो वे इसकी सूचना अपर मुख्य सचिव कार्यालय में इस व्यवस्था का संचालन करने वाले नोडल पदाधिकारी अपर सचिव अनिल कुमार को सूचित करेंगे. इसके बाद अपर मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा फिर से किसी अन्य तिथि को निरीक्षण के लिए कोई अन्य विद्यालय आवंटित किया जाएगा, जिसका वे निरीक्षण करेंगे.
हर महीने 25 स्कूल का निरीक्षण
शिक्षा विभाग के नये आदेश के मुताबिक सभी पदाधिकारियों को हर महीने कम-से-कम 25 विद्यालयों का औचक निरीक्षण करना है. ऐसे में निरीक्षण के कार्य को सभी पदाधिकारी गंभीरता से लेंगे. अगर किसी भी परिस्थिति में निरीक्षण प्रतिवेदन फर्जी या भ्रामक पाया जाता है तो संबंधित पदाधिकारियों पर सख्त अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने साफ किया है कि सभी आउटसोर्स कर्मचारी और संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों-अधिकारियों को निरीक्षण के काम से मुक्त कर दिया गया है.